How divorce affects mental state of children, how you deal with it?

लॉकडाउन में महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है बुरा असर, एक्सपर्ट से जानें कैसे करें स्थिति का सामना?
कोरोना महामारी के संकट ने आम आदमी के जीवन के हर हिस्से को प्रभावित किया है। इस संकट से लड़ने के लिए जारी लॉकडाउन की बढ़ती अवधि ने नौकरी, बिज़नेस, सेहत, आर्थिक समस्याएं, संबंधो में तनाव आदि की परेशानियाँ खड़ी कर दी है, जिससे हर किसी को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है। इसी तनाव ने लोगों के व्यक्तिगत, पारिवारिक, पेशेवर और सामाजिक जीवन को जकड़ लिया है। ऐसा लगता है उनकी खुशियों और आनंद भी क्वॉरंटाइन हो गई हो।
लॉकडाउन के दौरान घर के सभी सदस्य चौबीस घंटे एकसाथ रह रहे हैं। ये दौर कुछ परिवारों की खुशियाँ बना है, तो वहीं दूसरी ओर कई परिवार ऐसे हैं जिनके लिए ये वक्त परेशानियां लेकर आया है। परिवार में सुख या दुःख भावनात्मक और मानसिक सद्भाव की स्थिति पर निर्भर करता है। कोरोना महामारी के कारण लोगो को कई तरह की बंदिशों में रहना पड़ रहा है। इस स्थिती में जिन परिवारों के सदस्य खुद के लिए समय नहीं निकाल पाते और अपनी मर्ज़ी और शौक के काम नहीं कर पा रहे हैं, उन परिवारों में तनाव और झगड़े काफी हद तक बढ़ें हैं। कई मामलों में बात हिंसा तक पहुँच जाती है। और इसका आसान शिकार बनी हैं महिलाएँ।
बढ़े हैं घरेलू हिंसा के मामले
हाल ही में, दुनिया भर में महिलाओं के साथ मारपीट और घरेलू हिंसा के मामलें में भयानक बढ़त हुई हैं। इससे समाज के हर वर्ग की महिलाएँ बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान पुरुषों व घर के मुखिया को नौकरी खोने अथवा आर्थिक संकट आने का डर, घर पर बेकार बैठना, सेहत व दूसरी परेशानियों का डर सता रहा हैं। वहीं शराब की लत वाले पुरूषों को इस अवधि में शराब आसानी से नहीं मिल रही है। इससे उनका व्यवहार भी उन्हें हताश, गुस्सैल, चिड़चिड़ा और हिंसक बन रहा है। उनका यहीं गुस्सा घर की महिलाओं पर निकलता है। इससे कहीं झगड़े बढ़ रहे हैं तो कहीं मारपीट और हिंसा तक बात पहुँच रही है।
वहीं दूसरी ओर, घर के बाकि सदस्यों का आलस और उनकी डिमांड भी महिलाओं के लिए मुसीबत बने हुए है। हर वक्त खाने की मांग, रोज़मर्रा के कामों में बढ़त, घर के अन्य सदस्यों की मदद न मिलना, घरवालों की बेवजह की निर्भरता, पारिवारिक मतभेद और बिगड़ते रिश्ते भी महिलाओं की परेशानी के कारण है। इतना ही नहीं, खुद के लिए वक्त न निकाल पाना और किसी से मन की बात न कर पाना भी उन्हें अकेलेपन की तरफ ले जा रहा है। लॉकडाउन में महिलाएँ बाहरी मदद भी नहीं ले पा रहीं है।
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