man stress out and cover his face by his hands

Second Hand Stress: कहीं आप तो नहीं हो रहे हैं सेकेंड हैंड स्ट्रेस का शिकार?

जिस तरह स्मोकिंग दो प्रकार की होती है, ठीक वैसे ही स्ट्रेस भी आमतौर पर दो तरह का होता है। एक वो स्ट्रेस जो आपको अपनी समस्याओं या चुनौतियों के चलते हो रहा है और दूसरा वह जो कहीं से ट्रांसफर होकर आप तक पहुंचा है..

स्ट्रेस भी प्राइमरी और सेकेंडरी होता है। अब ये आपको तय करना है कि जिस तनाव ने आपको परेशान कर रखा है वो प्राइमरी है या सेकेंडरी। यानी वह आपका अपना तनाव है या किसी और के द्वारा आप तक पहुंचा हुआ तनाव है… इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं मैक्स हॉस्पिटल, पटपड़गंज के सीनियर सायकाइट्रिस्ट डॉक्टर राजेश कुमार…

ऐसे होता है सेकेंड हैंड स्ट्रेस

सेकेंड हैंड स्ट्रेस मुख्य रूप से दो तरीकों से होता है। एक जब आप ऐसे लोगों के बीच में रहते हैं, जो हर समय नकारात्मक बातें और विचार रखते हैं।

-दूसरा, आप बहुत अधिक संवेदनशील हैं और किसी के साथ हुई किसी भी दुखद घटना को सुनकर शोक में डूब जाते हैं।

यह प्राकृतिक प्रक्रिया है

हम जैसे माहौल में रहते हैं, वैसा ही हमारा व्यवहार भी होने लगता है। फिर चाहे हम लाख कोशिश करें कि हम पर अपने वातावरण का प्रभाव ना हो।-हम भले ही अपने कॉन्शस माइंड को आस-पास की नकारात्मकता से दूर रखने में सफल हो जाते हैं। लेकिन अवचेतन मन पर आस-पास के नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह के माहौल का असर होता है।

बिना कारण असंतोष होना

आप व्यक्तिगत रूप से खुशमिजाज हैं। लेकिन अक्सर आपको पता नहीं चलता कि आप क्यों चिंतित महसूस कर रहे हैं।-जब अपने बारे में, अपनी परिस्थितियों और परिवार के बारे में सोचते हैं तो खुद को संतुष्ट पाते हैं लेकिन अनजाने तनाव से परेशान हैं। ऐसी स्थिति में आपको समझना चाहिए कि आप अपने नहीं बल्कि किसी और की परेशानी के चलते परेशान हैं।

प्रॉडक्टिविटी में कमी

आप अपने काम को लेकर बहुत अधिक सतर्क करते हैं। हर दायित्व को समय पर पूरा करते हैं और पूरा प्रयास रहता है कि आपके काम की क्वालिटी भी बनी रहे।-लेकिन अब आप अनुभव कर रहे हैं कि आपकी उत्पादकता में कमी आ रही है। आप उतना काम नहीं कर पा रहे हैं, जितना अभी तक करते थे। अगर ऐसा हो रहा है और इसके पीछे आपकी कोई व्यक्तिगत वजह नहीं है तो यह सेकेंड हैंड स्ट्रेस का एक सिंग्नल हो सकता है।

रचनात्मक काम ना कर पाना

जो लोग क्रिएटिव फील्ड से जुड़े होते हैं उनके लिए मानसिक रूप से शांत रहना उनके प्रफेशन की डिमांड बन जाता है। ऐसे में तनाव चाहे अपना हो या किसी और का दिया हुआ, इनकी रचनात्मकता को जरूर नुकसान पहुंचाता है।-इसलिए रचनात्मक कार्यों से जुड़े लोगों को जब तनाव होता है तो वे अपने काम को सही तरीके स नहीं कर पाते हैं या अपने काम से खुश नहीं होते हैं। ऐसा होने पर इन्हें और अधिक तनाव हो जाता है। इस तरह इनकी समस्या बढ़ती रहती है।

थकान और घुटन महसूस करना

अगर आप बिना किसी शारीरिक श्रम के थकान और घुटन महसूस कर रहे हैं तो आपको शांत मन से इस बात पर विचार करना चाहिए कि आखिर कौन-सी बात आपको परेशान कर रही है।-क्योंकि जब हम मानसिक रूप से परेशान होते हैं तो नकारात्मक विचार लगातार हमारे ब्रेन में आते रहते हैं। इससे ब्रेन में कार्टिसोल की मात्रा बढ़ती है, जो कि तनाव के लिए जिम्मेदार हॉर्मोन है। इस कारण हम खुद को थका हुआ महसूस करते हैं।

फोकस में कमी आना

लाइफ में सबकुछ सही होने के बाद भी अगर आप अपने काम पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं तो आपको खुद से पूछने की जरूरत है कि आखिर आपका मन किस कारण बेचैन है।-क्योंकि आमतौर पर जब हम किसी और की वजह से परेशान होते हैं तो हम सिर्फ परेशान और उखड़े-उखड़े होते हैं, जबकि हमें कोई भी वजह साफतौर पर नजर नहीं आ रही होती है। ऐसी स्थिति दर्शाती है कि हम पर सेकेंड हैंड स्ट्रेस हावी हो रहा है।

चिड़चिड़ापन बढ़ जाना

जब हम मानसिक रूप से बेचैन होते हैं तो किसी भी बात पर और किसी को भी चिड़कर रिप्लाई कर देते हैं। या इस तरह व्यवहार कर देते हैं, जिसे करने के बाद खुद हमें अच्छा महसूस नहीं होता है…-इस कारण हम एक नए तनाव से घिर जाते हैं कि आखिर हमने ऐसे रिऐक्ट क्यों किया? अगर ऐसी स्थिति आपके साथ बार-बार बन रही है तो आपको इस बात पर ध्यान देना होगा कि आपके जीवन में तनाव किस तरफ से आ रहा है।

यह है समाधान का तरीका

हम हर समय शिकायत करते रहनेवाले व्यक्ति की आदत नहीं बदल सकते। लेकिन उसकी बातों का खुद पर कितना असर होने देना है इस बात को जरूर निर्धारित कर सकते हैं।-इसलिए बेहतर रहेगा कि आप आस-पास के लोगों की बात सुन लें लेकिन उन्हें खुद पर हावी ना होने दें। इससे आपकी रचनात्मकता और काम करने की गति दोनों ही बनी रहेंगी। साथ ही आप खुद को खुश भी रख पाएंगे।

-जानने का प्रयास करें कि किन परिस्थितियों से और किस व्यक्ति द्वारा यह तनाव आपके जीवन में आ रहा है। अब हमें उन परिस्थितियों और उस व्यक्ति के बारे में विचार करना है कि हम कैसे अपनी समस्या का समाधान कर सकते हैं।