
Easiest Exercise: चेहरे और पेट पर फैट बढ़ाता है कार्टिसोल, ऐसे करें कंट्रोल
वजन कम करना है तो मुस्कुराना जरूरी है… ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि 10 साल से चिकित्सा क्षेत्र में कार्यरत डॉक्टर का कहना है।
इनके अनुसार, जो लोग अधिक स्माइल करते हैं वे अधिक फिट रहते हैं… तो चलिए जानते हैं Benefits of smile…
डॉक्टर का कहना है कि…
अब यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर मुस्कुराने से दिमाग को कैसे आराम मिलता है
-इसके पीछे मनोविज्ञान भी काम करता है। आप खुद सोचकर देखिए कि आपको एक उदास चेहरा आकर्षित करता है या मुस्कुराता हुआ चेहरा? हम सभी को चेहरे पर स्माइल लिए हुए लोग अधिक पसंद आते हैं और हम अपने आस-पास ऐसे ही लोगों को रखना चाहते हैं। क्योंकि इससे हमें सकारात्मक महौल मिलता है।
वेट कंट्रोल में मददगार
-आपके मन में यह जानने की उत्सुकता बनी हुई है कि आखिर वेट कंट्रोल में स्माइल किस तरह मददगार है, अब इसी पर बात करते हैं… दरअसल, जब कोई व्यक्ति तनाव में होता है तो उसके शरीर में कार्टिसोल हॉर्मोन का सीक्रेशन बढ़ जाता है। इससे उदासी बढ़ती है।
-यह बढ़ी हुई उदासी हमारे शरीर में हॉर्मोनल डिसबैलंस क्रिएट करती है। इससे हमें अधिक भूख लगती है। यह भूख आमतौर पर आर्टिफिशल होती है, इसे एंग्जाइटी में होनेवाली क्रेविंग की तरह भी समझ सकते हैं।
-इस क्रेविंग में हम जो भी खाते हैं, उससे हमारे शरीर को लाभ की जगह हानि होती है। क्योंकि इस ओवर ईटिंग के जरिए पेट में गया हुआ फूड फैट के तौर पर हमारे शरीर में स्टोर होने लगता है। आमतौर पर हमारे शरीर को इस फैट की जरूरत कभी नहीं पड़ती…अगर हम इसे कंज्यूम करने के लिए खुद से एफर्ट ना करें।
चेहरे और पेट पर फैट बढ़ाता है कार्टिसोल
-अगर शरीर में कॉर्टिसोल की मात्रा लंबे समय तक अधिक बनी रहती है तो इससे हमारी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। हमें ऑस्टियॉपोरोसिस की समस्या हो जाती है। इससे हमें मूवमेंट और एक्सर्साइज करने में दिक्कत आती है।
-इस तरह यह एक सर्कल बन जाता है…यानी हम एक्सर्साइज नहीं करते तो शरीर में फैट बढ़ता रहता है और हम चाहकर भी एक्सर्साइज नहीं कर पाते क्योंकि हड्डियां कमजोर हो चुकी होती हैं। इस सबके कारण हम खुश नहीं रह पाते, जब हम खुश नहीं रहते तो कॉर्टिसोल का सीक्रेशन बढ़ता रहता है…
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फैट स्टोरिंग को कंट्रोल करे
आंतरिक खुशी बढ़ाती है स्माइल
मुस्कुराने से हमारे अंदर सकारात्मक भाव का संचार होता है। इससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है। यानी अभी तक जो नकारात्मक भाव हम पर हावी था, जिसके चलते हम खुद को कमजोर और असहाय अनुभव कर रहे थे, वह दूर होने लगता है और हमारा अपने आप में विश्वास बढ़ने लगता है।
-यानी है तो पूरा का पूरा हॉर्मोन्स का खेल... लेकिन जुड़ा है हमारे स्माइल करने और ना करने से। तो अबसे जितना हो सके अधिक से अधिक मुस्कुराइए और खुद को मानसिक और शरीरिक तौर पर स्वस्थ रखने का प्रयास कीजिए।